Wednesday, February 16, 2011

Re: {http://www.kavyatarang.co.cc/} मराठी लोकांचे हिंदी....

 

NICE MAIL..........

2011/2/17 shilpa raut <shilpah.raut5@gmail.com>
 

On 1/22/11, ♫♥♫प्रशांत पवार♫♥♫ <prapawar_4u@yahoo.co.in> wrote:
> ----------------------------------------------------------
> बाई : ए लिंबं कशी दिली रे?
> भाजीवाला : बहनजी २ रुपैय्ये का ५
> बाई : इतना महाग काय को देता हय? वो कोपरे का भैय्या देड मे ५ देता हय.
> भाजीवाला : बहनजी वो खराब माल बेचता है.
> बाई : हां मेरे को शेंडी मत लगाओ, पिछली बार यहां से लिया था तो उसमे से २ किडा
> हुआ निकला था.
>
> भाजीवाला : आज का माल अच्छा है बहनजी, चलो २ रुपैये का ७ लेलो,
> बाई : हां, बराबर मोजा क्या?
> ----------------------------------------------------------
> आमचे काका केबल वाल्याला तक्रार करतात
> हमारे टिव्ही मे मुंगी मुंगी दिखता है...
> ----------------------------------------------------------
> आमच्या समोरच्या फ्लॅटमधली बाई एकदा दुधवाल्याला म्हणाली "भैय्या हमारा एक लिटर
> दूध तुम्हारे अंगपर है..."
> ----------------------------------------------------------
> घरमालक : सोनावनेजी आपका भाडा देनेका बाकी है.
> सोनावने : अरे देता तो है ना, डुबवतंय काय? तुम्हारा डुबवके हमको क्या चैन
> मिलने वाला
>
> हय? पण जरा तुम हमारी परिस्थिती हाय का नाय काय बघतंय का नाय? का नुसता उठसूठ
> भाडा मागताय? हमारी परिस्थिती भी जरा बघो ना.......
> घरमालक : लेकिन वो पिछले महिने का भी......
> सोनावणे : अरे बाबा पिछले महिने हम वो पोळा सण के लिए गाव कू गया था ना...
> घरमालक : पोळा???
> सोनावणे : तुमको पोळा नै मालूम? उस दिन नही क्या वो बैल के शिंग को रंग लगाते
> है,
> बैला के पाठिपर झूल टाकता है... तुम्हारे गाव मे नही होता है क्या...?
> घरमालक : नही. इस महिने का तो देना ही पडेगा..
> सोनावणे : ऐसा क्या? तो जरा अंदर आवो घर के. ये तुमने हमारे घर मे बांबु लगाया,
> कितना
>
> बांबु लगाया, हमारा घर केवडा और तुम्हारा बांबु केवढा, अब हमारे घर में जब
> पावना लोग आता
>
> है तो झोपनेकू जगा नही मिलती.. जगा नही मिलती तो कुछ पावना बांबु को टेकता है,
> वो बांबु को
>
> टेकता है तो, उपर से माती गिरता है, हमारी मंडळी के कानानाकमें जाता है, वो तुम
> नीट करो पयले.
>
> घरमालक: ???????
> ----------------------------------------------------------
> माझी मामी एकदा एका साऊथ इंडीयन मुलीशी बोलत होती..
> ए तुम तुम्हारे केसोंको क्या लगाती हो?? बहोत अच्छी बू आती है...
> ती मुलगी ब्लॅंक चेहर्‍याने बघत होती माझ्या मामीकडे.....
> ----------------------------------------------------------
> मराठी भाषिकाची कांदे भाववाढी वरची प्रतिक्रिया
> कांदे का भाव गगन को भिडगया, अब भाजी में क्या घालेगा?
> ----------------------------------------------------------
> एका कंपनीत सेफ्टीच ट्रेनिन्ग देताना मराठी ट्रेनरने सांगितल,
> " ट्रेनिन्ग लेने के बाद तुम सब एकमेकको बताना".
> पुढे....... हम कभी कभी सामान उपर टांगते है, तो वो डोकेमे गिरनेका धोका रहता
> है.
> ----------------------------------------------------------
> अक्षयः रोहिता तू गाजर का हलवा ले के आयेगी.
> रोहिता : नही. ऊसमे बहोत मेहनत लगती है?
> अक्षयः क्या खाक मेहनत लगती है?
> रोहिता: अरे गाजर का किस करना पडता है
> अक्षयः हलवा बनाने बोला है तो गाजर को किस क्युं करेगी तू?
> ----------------------------------------------------------
> आमच्या शेजारी एक मारवडी कुटुंब राहात होते, त्या काकुंचं हिंदी असाच मजेदार
> होतं, एकदा आमच्याकडे आल्या आणि म्हणाल्या "हमारे बाल्कनी मै ना मुन्गियां आयी
> हैं, कैसेमारनेका?"
>
> एकदा ती शेजराची मारवाडी ताई सॉफ्ट टॉईज शिकायला गेली होती ती क्लास वरुन परत
> आल्यावर माझ्या ताईने तीला विचारले "क्या आज कितने सॉफ्ट टॉईज शिके?"
>
> माझ्या जिजाजींचं हिंदी पण अस्साच भन्नाट आहे,
> त्यांच्या घरातला नवीन मिक्सर बिघडला होता तर त्याचं भांडं ब्लेड बदलायला दिलं
> होतं, खुप दिवस झाले तरी ते परत मिळालंनव्हतं तर जिजुंनी चिडुन त्या डिलर ला
> फोन केला " हमारे नवीन मिक्सर का भांडां आपको दुरुस्ती के लिये दिया था.. आपने
> तो उसके ऊपर डल्लाचं मार दिया.
> "
> ----------------------------------------------------------
> एक मराठी माणुस त्याच्या बिहारी मित्राशी फोन वर बोलत असतो...
> अरे तुम अभी मेरे बिल्डींग के निचे आ के गया?
> मुझे फोन करना था ना, तेरे ऑफिस मे कुछ पेपर्स भेजने थे अरे आयता आया था तु.
> ----------------------------------------------------------
> एकदा मी घरी जात होतो तेव्हा पाहीले की , आमच्या शेजार्‍यांचा विकी (लहान
> कुत्रा) गळ्यातल्या साखळी सकट चिखलात लोळत होता. मी त्याला धरले आणि
> शेजार्‍याकडे नेले(शेजारी मध्य प्रदेशवाला) व म्हणालो
>
> मी: ये आपका विकी
> तो: अरे कहा मिला मै ढुंढ रहा था
> मी: अरे ये तो वहा चिख्खल मे लोळ रहा था
> खरं सागतो लोळण्याला हिंदीत काय म्हणतात अजुन माहित नाही
> कुणाला माहीत असेल तर या खालिल वाक्याचे&nb
>
>
>
>
>
>
>
>
> --
>
> सुखाच्या मागे धावून धावून,
> मन आयुष्‍याला विटते,
> आणि तेव्‍हां कुठे त्‍याला,
> मृगजळ भेटते.........
> प्रशांत पवार
>
> कृपया गरज नसल्यास ई-मेल प्रिंट करू नका.
>
>




--
प्रथमेश लोके 

__._,_.___
Recent Activity:
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------Group Policies (Amended March 04, 2007)

1) All mails are subjected to moderation. This may cause some trivial delay in posting your mails. Please bear with us.

2) Please do not post any advertisements (matrimonial ads, mails publicizing other groups etc.) on this group.

3) Please be cautious while sending any attachments or forwards. When you send forwards, we request you to retain only the relevant content of the mail, which you are forwarding. Also edit the subject giving a proper subject to the mail discarding unwanted matter. This will make the mail neat and legible.

4) Appreciation of mails sent by members should be directed to the senders personal email address and not on the group.

5) Not all forwards will be approved. Only forwards with some novelty will be approved. To give an example, forwards containing PowerPoint slides. Some slides contain only sceneries, pictures of cute dogs/ cats, babies, mountains, flowers etc. Such forwards will not be approved.
.

__,_._,___

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.